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Success story of successful man


इंजीनियर की जॉब छोड़कर बनाई थी कंपनी आज 60  करोड़ रु. का है टर्नओवर 

 यह कहानी बायोटेक्नोलॉजी में बीई करने वाले यूथ पारस चोपड़ा की है। 

पारस ने इंजीननयर की सक्सेस जॉब छोड़कर अपनी कंपनी शुरू की थी, वे 

आज 60 करोड़ रुपए से ज्यादा टर्नओवर के साथ सक्सेस कारोबाररयों की 

लिस्ट में हैं। पारस ने जो हासिल किया वह बिल्कुल आसान नहीं था।

क्या खास : एक ऐसा स्टार्टअप (Wingify) जो वेबसाइट्स और ईकॉमर्स स्टोर्स को ज्यादा मुनाफा

कमाने में सक्षम बनाने के लिए किफायती और आसान सॉफ्टवेयर टू

ल्स का निर्माण करता है।

अपने पहले ही उत्पाद विजुअल वेबसाइट ऑप्टिमाइजर के जरीए यह कंपनी दुनिया भर के शीर्ष

एनालिटिकल सॉफ्टवेयर प्रोवाइडर्स में शामिल हो चुकी है।

पंजाब में जन्में पारस चोपड़ा पढ़ाई में हमेशा  सबसे आगे रहने वाले बच्चों में से थे। कंप्यूटर से पारस का परिचय बहुत छोटी उम्र में हो गया था। पारस के अनुसार उसके पिता अपने काम के लिए कम्प्यूटर का इस्तेमाल करते थे। उन्हें देखकर वह भी इसके प्रति आकर्षित हुआ और

करीब 13 वर्ष की उम्र में, जब दुसरे बच्चे कम्प्यूटर पर गेम खेला करते हैं, पारस प्रोग्रामिंग करने लगा। स्कूल पूरा

होते-होतेव प्रोग्रामिंग में माहिर हो चूका था अब उसने दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में दाखिला लिया और सब्जेक्ट के रूप में बायोटेक्नोलॉजी को चुना। पारस के इस फैसले से पेरेंट्स खुश नहीं थे क्योंकि वे चाहते थे कि वह कम्पयुटर पढ़े लेकिन उसने बायोटेक्नोलॉजी में ही ग्रैजुएशन का फैसला किया। इस दौरान उसने कम्पटयटूर में अपनी

विषेशज्ञता को चमकाने का कोई मौका नहीं छोड़ा। वह इसका इस्तेमाल अपनी पढ़ाई और 

मॉडल्स तैयार करने के लिए किया करता था। इस काम ने पारस में डाटा माइनिंग और

एनालिटिक्स के प्रति दिलचस्पी पैदा कर दी । पारस के अनुसार स्कूल के दिनों में उसे ‘हाउ टु

स्टार्ट ए स्टाटर्टअप’ पर एक लेख पढ़ने का मौका मिला जिसने उसे स्टार्ट अप के लिए काफी प्रेरित किया था। अपने इसी आकर्षण के चलते पारस ने कॉलेज की पढ़ाई के साथ-साथ तीन-चार अलग-अलग स्टार्टअप्स में भी अपना हाथ आजमाया, लेकिन एक बिजनेस मॉडल के अभाव 

में ये बिजनेस में तब्दील नहीं हो पाए।

जॉब के दौराि तलाशा आइडिया

2008 में पारस ने गोल्ड मेडल के साथ अपनी  ग्रैजुएशन पूरी

 की और एस्पायरिंग माइंड्स में

बतौर आर एंड डी में इंजीनियर की नौकरी शुरूकी। 

लेकिन स्टार्ट अप की ख्वाहिश अब भी

उसके भीतर थी। जॉब में करीब  डेढ़ साल गुजर जाने के 

बाद पारस ने अपनी रुचि के क्षेत्रों की

एक लिस्ट तैयार करना शुरू किया।  लगभग एक माह तक

 इस पर काम करने के बाद मार्केटिंग ऑप्टिमाइजेशन थीम सामने आई। एनालिटिक्स, टेक्नोलॉजी और मार्केटिंग के मिश्रण वाले

इस प्रोजेक्ट में पारस की विशेष रुचि थी। यही से (wingify)का आइडडया मिला और 23 साल 

इस युवा ने अपनी कंपनी की नींव रखी।

मार्केटिंग का नहीं था तजुर्बा

पारस ने एक ऐसा फील्ड चुना था जिसका उसे बिल्कुल अनुभव

नहीं था। मार्केटिंग के एक्सपीरयंस के बिना मार्केटिंग ऑप्टटमाइजेशन में उतरना काफी जोखिम भरा फैसला था।

अपनेसंघर्न के दौर में पारस को अपने कॉलेज के उन दिनों से प्रेरणा मिली जब बायोटेक्नोलॉजी की ज्यादा जानकारी न होने के बावजूद उसने यह सब्जेक्ट चुना और न सिर्फ अपने डिपार्टमेंट में टॉप किया बल्कि कुछ पेपर भी  पब्लिश किए। इससे पारस में इस फील्ड में कदम रखने का आत्मववश्वास पैदा हुआ और उसने जॉब के साथ ही इस पर काम करना शुरू किया। पारस का मकसद गूगल एनालिटिक्स के लिए एक प्लेटफॉर्म तैयार करने का था जिसका इस्तेमाल

यूजर अपनी वेबसाइट को बेहतर बनाने और उसके ऑप्टटमाइजेशन के लिए कर सकें। करीब

आठ महीनों‌ तक इस पर काम करने के बाद पारस कई ‌फीर्चस वाला एक प्रोडक्ट तैयार करने में कामयाब हो गए और 2010 में वि‌जुअल ‌‌वेब‌साइट ऑप्टि‌माइजर नाम के इस सॉफ्टवेयर को‌‌ लॉन्च किया। 

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